सभी काम श्रेष्ठ हैं
स्वामी विवेकानंद ने कर्तव्य और कर्मयोग को सर्वोपरि बताया है।
कोई भी काम छोटा-बडा नहीं होता, यह उनके इस व्याख्यान से पता चलता है..
यदि कोई मनुष्य संसार से विरक्त होकर ईश्वरोपासना में लग जाए, तो उसे यह
...नहीं समझना चाहिए कि जो लोग संसार में रहकर संसार के हित के लिए कार्य करते
हैं, वे ईश्वर की उपासना नहीं करते। संसार के हित में काम करना भी एक
उपासना ही है। अपने-अपने स्थान पर सभी बडे हैं।
शनिवार, 1 जनवरी 2011
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